Chronic Disease असाध्य रोग
असाध्य रोग के लक्षण फलित ज्योतिष के अनुसार:-
षष्टेश की लग्नेश के साथ युति रोग का कारण बन जाती हैं। यदि तीन पीड़ित अशुभ ग्रह छटे या आठवें भाव में बैठे हों तो व्यक्ति असाध्य रोगों से ग्रस्त रहता है।
लग्न भाव में स्थित अष्टमेश जातक को रोग देता है।
जन्म नक्षत्र से 3रे,5वें या 7वें नक्षत्र के स्वामी की दशा/अंतर्दशा तथा 6,8,12 भाव या भाव स्वामियो की दशा/अंतर्दशा रोग दे सकती है।
D-3 के 22वे देष्कोण या
D-9 के 64वे नवांश पर क्रूर ग्रह का गोचर रोग देता है। D-12 द्वादशांश कुंडली के छटे भाव से जातक को अपने माता पिता से मिलने वाली वंशानुगत बीमारियाँ पता लगती है।
जैमिनी ज्योतिष के अनुसार ज्ञातिकारक का सम्बन्ध किसी तरह से 6,8,12 भावों से आएं तो भी दीर्घकालीन रोग हो सकते हैं।
इसी प्रकार ज्योतिष में कई तरह के अन्य योग बनते हैं जो असाध्य रोग दें सकते हैं।
Remedy
केंद्र -त्रिकोण के भावों को बलवान बनाकर निरोगी हो सकते हैं।